Kashmir already belonged to India!कश्मीर भारत का पहले से था!



गृहमंत्री श्री अमित शाह ने हैदराबाद की एक सभा में देश को एक नई जानकारी और खुशखबरी दी कि भारत का पूर्ण एकीकरण का महान काम जो अब तक अधूरा था उसे उन्होंने पूरा कर दिया। जम्मू और कश्मीर का भारत में पूर्ण एकीकरण उससे विशिष्ट राज्य का दर्जा हटाने और यूनियन टेरिटरी बनाने के बाद संभव हुआ है, पहले नहीं। और साथ ही सरदार पटेल द्बार हैदराबाद  रियासत को मिलाने वाली पुलिसिया एक्शन की तुलना जम्मू और कश्मीर में की जा रही कारवाई से कर इसे न्यायसंगत ठहराया। मतलब एक ही समय नया इतिहास बनाने और दुहराने की सूचना से देश को गौरवान्वित किया।

Kashmir already belonged to India!

 जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है यह हम बचपन से सुनते आ रहे हैं। सिर्फ पाकिस्तान और आतंकवादी ही इसे भारत का अभिन्न अंग नहीं मानते ऐसी हमारी समझ थी। पर भारत के गृहमंत्री भी ऐसा मानते थे यह हैरान कर देने वाला तथ्य है। भारतीय संविधान में भी जम्मू और कश्मीर को भारत का अभिन्न राज्य ही माना गया है। अर्द्धविलित या 50%या60% विलित जैसा कोई प्रावधान भारतीय संविधान में नहीं है।




 इतना ही नहीं जब कभी पाकिस्तान द्बारा जम्मू और कश्मीर का प्रश्न अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर उठाने की कोशिश की गई भारत द्बारा इसे अपना आन्तरिक मामला बतलाया जाना इसी तथ्य को पुष्ट करता है कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग रहा है। फिर भी यदि धारा 370 से विशेष दर्जा समाप्ति से ही जम्मू और कश्मीर का पूर्ण विलय माना जाय तो कम से कम 11 और राज्य ऐसे हैं जिन्हें भारतीय संविधान द्बारा विशेष शक्तियां मिली हुई हैं तो क्या  उनका  पूर्ण एकीकरण नहीं होगा!दूसरे अगर यूनियन टेरिटरी बनाने से ही अभिन्न अंग बनते हैं तो  अभी भी 28 राज्य बचे पड़े हैं।




इसी प्रकार जम्मू और कश्मीर में अभी चलायी जा रही सैन्य कार्रवाई की तुलना सरदार पटेल  द्बारा हैदराबाद के खिलाफ की गई कारवाई से करना इतिहास की गलत व्याख्या है और कुछ नहीं। 1948 में सरदार पटेल ने "आपरेशन पोलो " नाम से जो सैनिक कारवाई की थी वो  स्वतंत्र रियासत हैदराबाद और निजाम सरकार के खिलाफ की थी जो अपनी स्वतंत्रता कायम रखना चाहती थी, न कि वहां के जनता के खिलाफ। दूसरे, यह कारवाई तब की गई की जब हैदराबाद की बहुसंख्यक हिन्दु जनता वहां की सरकार और उनकी छद्म सेना " रजकार" की बेइंतहा जुल्मों से त्राहि-त्राहि कर रही थी और मुक्ति के लिए भारत की ओर ताक रही थी। इसके अलावा हैदराबाद के ही तेलांगना क्षेत्र में कम्युनिस्टों का आंदोलन भी हिंसक हो चला था।तात्पर्य यह पूरा हैदराबाद हिंसा की आग में जलने लगा तब सरदार पटेल ने सेना का उपयोग कर हैदराबाद का विलय किया।

Kashmir already belonged to India!

दूसरी तरफ गृहमंत्री अमित शाह ने जिसके खिलाफ कार्रवाई की है वह कोई स्वतंत्र रियासत नहीं बल्कि भारत का अभिन्न अंग शुरू से रहा है, सरकार भी किसी निजाम की नहीं ,प्राय: जनता द्बारा चुनी होती थी अभी तो भारत के ही राष्ट्रपति की है और कारवाई  का दुष्परिणाम झेलने वाला कोई निजाम नहीं बल्कि  जम्मू और कश्मीर में रहने वाले भारतीय जनता ही हैं। हैदराबाद की तरह जम्मू और कश्मीर हिंसा की आग में जल भी नहीं रहा था, पत्थरबाजी की घटना भी थम-सी गयी थी और पूरे भारत से लोग अमरनाथ यात्रा के लिए आ रहे थे। जम्मू और कश्मीर उनकी आगवानी के लिए तत्पर था ऐसे में ये कारवाई और तुलना हैदराबाद की कार्रवाई से!



हासिल क्या हुआ? इस कारवाई द्बारा जम्मू और कश्मीर से 370 धारा तहत विशेष राज्य का दर्जा छिना जो कि अब वहां के आतंकवादी संगठन भी चाह रहे थे क्योंकि इससे उन्हें अपने संगठन के विस्तार में बाधा हो रही थी और दूसरा  उसे यूनियन टेरिटरी बना दिया यही न!यही है भारत का एकीकरण? यदि ऐसा है  तब तो भविष्य में, ठीक है 50 साल बाद ही सही  इसी तरह किसी "ले डूबी पार्टी" की सरकार बने उसके किसी "फन्ने खां" गृहमंत्री इसी तरह देश के सभी राज्यों और यूनियन टेरिटरी को म्यूनिसिपलिटी में बदल दे और देश को सूचना दे भारत का वास्तविक एकीकरण  आज हुआ है और जो काम महान नरेंद्र मोदी और अमित शाह नहीं कर पाये वो मैंने कर दिया तो देश आज की तरह उस समय भी गौरवान्वित होगा ?



 वास्तव में सरदार पटेल के हैदराबाद के खिलाफ की गई कारवाई से तुलना तब होती जब  पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई कर "पीओके" को  भारत में मिलाया गया होता। स्पष्ट है कि गृहमंत्रीजी का बयान राजनीति से प्रेरित है जिसका इतिहास के साथ कोई तारतम्य नहीं बैठता। जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग शुरू से रहा है हां धारा 370 के साथ संवैधानिक बाजीगरी और कश्मीरीयों के साथ जोर जबरदस्ती कर उन्हें भारत से भिन्न करने की कोशिश भले ही हो रही है जिसे सही नहीं माना जा सकता।



जरूरत आतंकवाद और उसके पैरोकार  से लड़ने की है। जम्मू और कश्मीर के संबंध में कोई फैसला वहाँ की जनता की सहमति से होती तब सार्थकता होती। पूरी जनता को अकारण अपने घरों में कैद कर देने यातायात और संचार माध्यमों को ठप कर देने, वहां की जमीन और लडकियों के संबंध में बेहूदी बातों को हवा देने से आतंकवाद वैसे ही खत्म होगा जैसे नोटबंदी से। सरकारें देश हित में चलनी चाहिए, पार्टी हित में नहीं।,  मुस्लिम विरोध से  न कोई राष्ट्रवादी होता है और न ही सरकार के विरोध से देशद्रोही, यह सबको समझना होगा।  अंत में


मौलिक अधिकार के रक्षक और संविधान के संरक्षक कहां हैं, कहां हैं
जिन्हें नाज है हिन्द पर कहां हैं कहां हैं ....
टनन   टनन्।. 




Parimal

Most non -offendable sarcastic human alive! Post Graduate in Political Science. Stay tuned for Unbiased Articles on Indian Politics.

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