सुना है कि तंगहाली अच्छे- अच्छों का दिमाग खराब कर देती है, सही और गलत का विचार नहीं रह जाता और दोस्त व दुश्मन को पहचानने की क्षमता कम हो जाती आदि-आदि। भारतीय अर्थव्यवस्था की मंदी ने एनडीए सरकार के मंत्रियों का भी यही हाल कर रखा है और वे अनाप-सनाप बयान दे रहे हैं और देश की बदहाली का ठीकरा भारत के युवाओं के सर फोड़ रहे हैं।
कुछ दिनों पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश के आटोमोबाइल क्षेत्र में छायी मंदी का जिम्मेदारी उन लायक नव युवाओं (मिलेनियल्स) पर डाली जो नई गाड़ी खरीदने की बजाय ओला और उबर की सेवा को प्राथमिकता देते हैं और अब केन्द्रीय श्रम मंत्री श्री संतोष गंगवार ने देश में भयंकर बेरोजगारी का कारण रोजगार की कमी नहीं है बल्कि उत्तर भारतीय युवाओं को नालायक होना बतला दिया है। मंत्रीगण एक पर रहिए ना या तो गोरा बोलें या चतुर? लायक या नालायक?
बुद्धि की बलिहारी देखिये उस युवावर्ग का मजाक बना रहे हैं जिनके 41% ने बीजेपी को 2019 लोकसभा चुनाव में वोट दिया था। "मोदी मोदी" नारों में अपना गला खराब लेने वाले युवाओं को बीजेपी सरकार के ही मंत्री आज मंदी का कसूरवार और नालायक बता रहे हैं ।कहीं ऐसा तो नहीं युवा जो किसी भी राष्ट्ररुपी महल के मजबूत खम्भे माने जाते हैं और मंत्री जी 'खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे' की कहावत चरितार्थ कर रहे हैं।
वास्तविकता यह है कि अधिकतर लोग मानते हैं भारत की आज की आर्थिक मंदी का मुख्य कारण नोटबंदी का निर्णय था और यह निर्णय किसी युवा ने नहीं बल्कि 60 वर्ष के ऊपर के प्रधानमंत्री ने लिया था और ताली बजाकर इसकी घोषणा की थी। जानते तो मंत्रीजी भी पर स्वीकार करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। सवाल 'बिल्ली के गले में घंटी बांधे कौन' का है । ऐसे में देश के युवा पर बदहाली का दोष मढ़ देना गलत है ये तो इस बदहाली से सबसे परेशान होने वाले वर्गों में से एक है।
इसी प्रकार बुद्धि की बलिहारी का दुसरा पर बड़ा नमूना श्रम मंत्री गंगवार जी ने यह कह कर पेश किया कि देश में रोजगार की कमी नहीं है समस्या उत्तर भारतीय युवा की योग्यता की कमी को लेकर है। पर हुज़ूर, 45 सालों का रिकॉर्ड तोड़ने की बात आपके कानों तक नहीं गई क्या, नोटबंदी के चलते छोटे-छोटे उद्दोग बन्द हो गए और लोग बेरोजगार हुए उसकी खबर भी नहीं लगी क्या? जिन कम्पनियों की बात आप कर रहे हैं वो नयी तो क्या देंगे पुराने कामगारों की भी बड़े पैमाने पर हटा रहे हैं ये तो आप जरुर जानते होंगे? ये भी नहीं! खेद है इतना कुछ नहीं जानने के बाद भी आप श्रम और रोजगार मंत्री हैं और सवाल युवाओं की योग्यता पर उठा रहे हैं!
20 लाख से अधिक केवल केन्द्र में पद खाली हैं उन्हें भरा नहीं जा रहा है।इसी प्रकार राज्यों में भी लाखों पद खाली हैं ।देश का कोई भी भर्ती आयोग सही ढंग से कार्य नहीं करता कोई भी परीक्षा समय पर नहीं होती और 6 -7 साल रिजल्ट आने में लगना आम बात हो गई है। राज्यों में स्थिति और विचित्र है एक ट्रेंड सा बन गया है एक चुनाव के ठीक पहले विज्ञापन आता है और अगले चुनाव के समय उसके परिणाम। ऐसे में नालायक कौन है ? स्पष्ट है !
अतएव हे काबिल मंत्रीगण बहाना न तलाशें देश की अर्थव्यवस्था चलाना आपका काम है और यदि यह मंझधार में है तो खेवैया भी आप ही रहे हैं और इसमें लाने का श्रेय भी आपका है और निकालने की जिम्मेदारी भी आप ही की है।
अन्त में-
लायक नहीं नालायक हैं हम
क्योंकि
जुल्मीं तेरे सहायक थे हम!
लायक नहीं नालायक हैं हम
क्योंकि
जुल्मीं तेरे सहायक थे हम!
Zabardust
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