Migrant laborers - fixed back home!प्रवासी मजदूर- तय हुई घरवापसी!

Migrant laborers - fixed back home!
आखिर तालाबंदी में फंसे विशेषतया दिहाड़ी प्रवासी मजदूरों के घर जाने की मानवीय मांग पर केन्द्र सरकार का ध्यान गया और उसने इसकी इजाजत कुछ दिशानिर्देशों के साथ दे दी है पर इसके लिए राज्यों की पारस्परिक सहमति की शर्त भी लगा दी। यह भी निश्चित कर दिया कि यह आवागमन बसों के माध्यम से ही होंगे और इसकी व्यवस्था राज्यों को ही करने होंगे। इसके अलावा  यात्रा के लिए वायरस से सुरक्षा से सम्बन्धित कुछ मापदंड एवं प्रोटोकॉल भी तय कर दिये । घर जाने की यह सुविधा तालाबंदी में फंसे छात्रों एवं तीर्थ यात्रियों को भी दी गई हैं। केन्द्र सरकार का यह फैसला राहत से भरा अवश्य है पर एक तो यह देर से आया है कई जान जानें के बाद और दूसरा दुरुस्त भी नहीं है।


Migrant laborers - fixed back home!

प्रवासी मजदूरों एवं छात्रों की वापसी को लेकर राज्यों में मतैक्य नहीं था इसलिए इसके लिए राष्ट्रीय नीति की मांग की जा रही थी। यूपी और असम जैसे राज्यों ने तालाबंदी की राष्ट्रीय नीति का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन कर कोटा में फंसे छात्रों को बुला भी लिया था जबकि बिहार जैसे अनेक राज्य जो घर वापसी के पक्ष में नहीं थे वे राष्ट्रीय अनुशासन की दुहाई दे रहे थे।  ऐसे में घर वापसी  की नई नीति को फिर राज्यों की आपसी सहमति पर ही छोड़ देना ठीक नहीं है।


Migrant laborers - fixed back home!

इसी तरह  घरवापसी के लिए बसों को ही साधन के रुप में अपनाने की बात करना भी व्यवहारिक नहीं है। लाखों की संख्या में इन यात्रियों को घर लाने में महीनों  लग सकते हैं और कई राज्यों की ऐसी हैसियत भी नहीं है। इससे प्रवासियों में निराशा बढ़ सकती है औरवो चोरी-छुपे घर आने की कोशिश कर सकते हैं जिनसे संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ सकता है। इसके लिये स्पेशल ट्रेनों की व्यवस्था करनी चाहिए उसमें संक्रमण का खतरा भी कम होगा।


Migrant laborers - fixed back home!
यही कारण है इस नीति की घोषणा होते ही राज्यों में बेचैनी बढ़ गई हैं। बिहार ने ट्रेन चलाने की मांग की कहा मेरे पास जो बस हैं उनसे 28 लाख लोगों को लाने में महीनों लग जायेंगे। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने साफ कहा अकेले बिहार के 7 लाख लोग हैं बसों से नहीं भेज सकते। केरल के मुख्यमंत्री पुनराई विजयन का कहना है कि बस में भेजने से संक्रमण फैलने का खतरा बना रहेगा। वहीं कर्नाटक की सरकार कहना है कि बसों में मुफ्त में जाने नहीं दिया जायेगा।वहीं हरियाणा की सरकार ने दिल्ली से आने वाली सड़क पर गढ़्ढ़े खोदने शुरू कर दिया ताकि वहां से बस आ ही न सकें। स्पष्ट है राष्ट्रीय समस्या का हल राज्यों की पारस्परिक सहमति पर नहीं छोड़ा जा सकता है। गनीमत है केन्द्र सरकार को यह बात जल्द ही समझ में आ गई और उसने "श्रमिक स्पेशल" नाम से ट्रेनें चलाने का फैसला कर लिया है और अब आशा है तालाबंदी में फंसे लोग अपने गांव और घर सकुशल पहुँच पायेंगे!


Parimal

Most non -offendable sarcastic human alive! Post Graduate in Political Science. Stay tuned for Unbiased Articles on Indian Politics.

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