Puducherry Assembly election 2021 who will win?





Puducherry Assembly election 2021 who will win?

पुडुचेरी विधानसभा 2021का एक चरण का मतदान 6 अप्रैल को संपन्न हो चुका है लगभग 82% मतदान हुए हैं। परिणाम 2 मई 2021 को घोषित होंगे। इस साल की पांच विधानसभाओं के चुनाव  में से कोई एक विधानसभा है जिसमें बीजेपी और एनडीए को जीत की वास्तविक उम्मीद है तो वो केन्द्र शासित प्रदेश पुडुचेरी ही है।


BJP Aliance-NDA

दरअसल बीजेपी केरल में अपनी पैठ जमाने के लिए पड़ोस के पुडुचेरी को रास्ते के रुप में उपयोग करना चाहती है। अतः वो किसी भी तरह यहां की सत्ता में आना चाहती है। इसलिए बीजेपी ने इस प्रदेश में कांग्रेस के बाद की सबसे सशक्त पार्टियों  AINRC और AIDMK के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने का फैसला किया है।


एनडीए के इस गठबंधन में  सबसे बड़ी पार्टी AINRC है जिसके अध्यक्ष  एन रंगास्वामी  वर्तमान समय में प्रदेश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं जो भूतपूर्व मुख्यमंत्री भी रहे हैं और भावी मुख्यमंत्री के प्रमुख दावेदार भी हैं। इस गठबंधन के तहत 16 सीट पर AINRC ,9 पर बीजेपी और 5 सीटों पर AIDMK चुनाव लड़ रही हैं। 




2016 के विधानसभा चुनाव में 30 में से 29  सीटों पर जमानत जब्त  होने वाली बीजेपी के लिए 9 सीटें लड़ने के लिए पाना एक बड़ी कामयाबी है।  अपने सशक्त और लोकप्रिय नेता जयललिता के स्वर्गीय हो जाने से कमजोर पड़ी AIDMK पिछले चुनाव में 4 सीट जीतने के बावजूद सिर्फ 5 सीटों पर मान गई है।


Congress aliance-SPA

दूसरी तरफ दो महीने पूर्व सरकार गंवाने वाली कांग्रेस ने भी एक गठबंधन SPA(Secular Progressive Aliance) सहारा लिया है जिसमें उसके साथ DMK ,CPI और VCK (ViduthalaiChiruthaigal Katchi) पार्टियां हैं।  सत्ता से बेदखल कर दी गई कांग्रेस पार्टी,

गठबंधन को सर्वाधिक आतुर दिखी है इसलिए इस बार 21 की बजाय सिर्फ 15 सीटों पर  लड़ने को तैयार हो गई है। DMK को 13 सीटें  देने पड़े हैं। जबकि CPI और VCK दोनों 1-1सीट पर लड़ रहे हैं। कांग्रेस ने अपने कोटे से Yanam सीट पर निर्दलीय  श्री गोलापल्ली श्रीनिवास अशोक को समर्थन दिया है यहां  मुकाबला AINRC के प्रमुख श्री रंगास्वामी से है।



कांग्रेस की सरकार पूरे कार्यकाल में गवर्नर श्रीमती किरण बेदी की दखलंदाजी से परेशान हो उनसे उलझती रही जिनसे उसका कामकाज प्रभावित होता रहा अन्ततः विधायकों के इस्तीफे उनकी सरकार भी जाती रही। मुख्यमंत्री और गवर्नर का यह टकराव बहुत कुछ दिल्ली की आप सरकार की तरह ही था पर जहां दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने  जनप्रिय कार्यों से अपनी लोकप्रियता बनाई रखी वैसा पुडुचेरी में कांग्रेस के मुख्यमंत्री वी रामास्वामी नहीं कर सके।


Political strategies and issues

इसलिए कांग्रेस ने Anti incumbency से बचने के लिये मुख्यमंत्री का उम्मीदवार ही घोषित नहीं किया है  साथ ही एक सभा में झूठा अनुवाद श्री राहुल गांधी को सुनाने की बचकानी हरकत के चलते  वी रामास्वामी को‌ किसी भी सीट से उम्मीदवार तक नहीं बनाया है। 


यद्यपि गवर्नर के तानाशाही रवैए के खिलाफ सहानुभूति मत हासिल करने के लिए कांग्रेस ने वी रामास्वामी को चुनाव अभियान में शामिल अवश्य रखा है। सेकुलरिज्म के बाद पुडुचेरी में कांग्रेस और SPA का मुख्य मुद्दा राज्यपाल श्रीमती किरण बेदी रवैया और अलोकतांत्रिक  ढंग से ( शाही तकनीक?) उनकी सरकार को गिराना ही है।


बीजेपी ने भीे कांग्रेस सरकार के अल्पमत में आते ही बड़ी तत्परता से गवर्नर श्रीमती बेदी को अपने पद से हटा कर Tamilisai Soundararajan को गवर्नर बना दिया ताकि चुनाव में कांग्रेस इसका लाभ न उठा सके। बीजेपी के लिए तथाकथित राष्ट्रवाद और कांग्रेस सरकार की असफलता  ही मुख्य मुद्दा है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता और बड़ी-बड़ी घोषणाएं भी हैं। इनमें IT park, Textile park,Spritual hub तमिल कवि सुब्रमण्यम भारती की 150 फीट ऊंची मूर्ति बनाना और 2.50 लाख रोजगार और पुडुचेरी को Special Status देना प्रमुख हैं।


Opinion poll forecast


इन बड़ी-बड़ी घोषणाओं  और बीजेपी के प्रबल प्रचार तंत्र से कांग्रेस नेतृत्व वाला गठबंधन SPA पिछड़ता हुआ लग रहा है।  इसकी पुष्टि Timesnow C voters का Opinion poll भी कर रहा है जिसके अनुसार NDA पुडुचेरी में  19 से 24 सीटें जीत सकती है जबकि SPA को 7 से 11 सीटें ही मिल सकती है। बहुमत का आंकड़ा  17 का है। सरकार बनाने के लिए कांग्रेस और  SPA को ये आंकड़ा लाना ही होगा। जबकि बीजेपी और NDA  बहुमत से कम आंकड़े  लाकर भी सरकार बना ले जाती है - या तो तुरंत या ठहर कर। आपरेशन लोटस और "शाही तकनीक" * का इस्तेमाल असरदार होता है। 

 

Opinion poll  हमेशा सही नहीं होते हैं और ये वास्तविक मतदान से कम से कम दो महीने पहले के होते हैं। मतदान तिथि तक जनमत में परिवर्तन भी हो जाता है। कांग्रेस की उम्मीदें दो बातों पर टिकी है एक 13 सीटों पर लड़ने वाली उसकी सहयोगी DMK कैसा प्रदर्शन करती है  दूसरे मुख्यमंत्री पद पर अपने सहयोगी पार्टी AINRC  के एन रंगास्वामी की उम्मीदवारी पर बीजेपी द्वारा सहमति नहीं देने से बीजेपी द्वारा लड़ी जाने वाली 9 सीटों पर जनमत का क्या असर पड़ता है।


* इस तकनीक में सरकार में शामिल कुछ  विधायकों को प्रलोभित (?) कर इस्तीफा दिला विधानसभा की संख्या कम कर बहुमत का गणित और सरकार बदल दिया जाता है। इसका प्रयोग बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष श्री अमित शाह के कार्यकाल में शुरु हुआ है इसलिए लेखक ने इसे "शाही तकनीक" का नाम दिया है। यह  अनैतिक और प्रजातांत्रिक मूल्यों के खिलाफ भले लगे पर गैर कानूनी नहीं है। इस तकनीक का सफलतापूर्वक प्रयोग कर्नाटक और मध्यप्रदेश की सरकार बदलने में किया गया है।



 









 

 

Parimal

Most non -offendable sarcastic human alive! Post Graduate in Political Science. Stay tuned for Unbiased Articles on Indian Politics.

3 टिप्पणियाँ

और नया पुराने