खंडन - इस लेख में किये गए व्यंग्य, लेख की रोचकता बनाये रखने के लिये ही किया गया । यदि फिर भी किसी दिल को चोट पहुँचती है तो उसके लिये Indianspolitical.com खेद व्यक्त करता है।
भारत की छवि दुनिया में एक सहिष्णु, लोकतांत्रिक और सेकुलर राष्ट्र की रही है जहां भिन्न-भिन्न संप्रदाय के लोग प्राय: आपस में मिल-जुल कर रहते हैं। विश्व को "वसुधैव कुटुम्बकम" ,बौद्ध ,जैन और दारूल उलेम का विचार देने वाले और पूरी दुनिया में इन्हें मानने वाले भारत को आध्यात्मिक गुरु स्थली समझते हैं। ऐसा समाज और ऐसी सनातनी परम्परा भारत की अनूठी विशेषता और खूबसूरती रही है और USP भी। विगत कुछ वर्षों में भारत की इस छवि पर लगातार आघात हो रहे हैं। "Sulli deals" और "Bulli bai app" इन आघातों से उपजे पाप हैं।
Bulli Bai App
Bulli, मुस्लिम औरतों के लिये प्रयुक्त एक अभद्र शब्द है इसे लेकर GitHub के open plateform पर बनाया गया बुल्ली बाई एप्प एक ऐसा एप्प है जिसमें सैकड़ों मुस्लिम महिलाओं जिनमें, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता, कलाकार,और अनेक सफल हस्तियां शामिल हैं उनके मॉर्फ फोटो को भद्दे कमेन्ट्स "Your Bulli Bai of the day”.के साथ ऑनलाइन 'नीलामी' के लिए रखा गया ।
यद्यपि 1 जनवरी 2022 को आये इस एप्प पर कोई वास्तविक लेनदेन का आप्शन नहीं था और यह ऑनलाइन ट्रोलिंग का ही एक उदाहरण है तथापि यह बेहद शर्मनाक, खतरनाक और विभत्स है। महाराष्ट्र सरकार की मुंबई पुलिस ने शिकायत मिलने पर तत्काल कार्यवाही की। विशाल झा, श्वेता सिंह, मयंक रावल आदि दोषियों को देश के विभिन्न जगहों से गिरफ्तार किया गया।
Sulli deals
इसी तरह के अभद्र शब्द पर एक और एप्प Sulli Deals के नाम से जुलाई 2021 में ही "Sulli deals of the day"Git Hub पर आया था। शिकायत मिलने पर गृहमंत्री की दिल्ली पुलिस ने दोषियों पर कोई कारवाई नहीं की सिर्फ इस एप्प पर रोक लगवाया। मुंबई पुलिस द्वारा दिए गए टिप पर अपनी साख बचाने के लिए दिल्ली पुलिस भी हरकत में आई और नीरज बिश्नोई और ओंकारेश्वर ठाकुर को गिरफ्तार किया। ऐसा कहा जा रहा है कि सुल्ली और बुल्ली दोनों में कनेक्शन है और दोनों का मास्टर माइंड एक है ऐसे में सुल्ली डील पर ये कारवाई दिल्ली पुलिस पहले कर लेती तो बुल्ली बाई एप्प न आता।
गिरफ्तार किए गए लोगों में सभी 18 से 25 वर्ष आयु के पढ़े-लिखे हैं और हिन्दुवादी विचार -धारा से प्रभावित और सोशल मीडिया पर एक्टिव लोग हैं। ये लोग सोशल मीडिया के गाली-गलौज वाले ट्रोलिंग संवाद, WhatsApp University द्वारा पढ़ाये जाने वाले झूठे इतिहास और गोदी मीडिया के हिन्दु-मुस्लिम बकवास आदि से कथित नये भारत के सनातनी समाज में पनपे नूतन तनातनी परम्परा के संवाहक हैं। मैगसेसे अवार्ड से सम्मानित पत्रकार श्री ऱविश कुमार ने ऐसे मीडिया से सावधान रहने की सलाह दी थी । पर उन्होंने ये मीडिया आतंकवादी बना देगा की बात कही थी ऐसे नमूने बना देगा ऐसा तो उन्होनें ने भी नहीं कहा था।
बुल्ली बाई सिर्फ एक और अपराध नहीं है बल्कि मुस्लिम को अपमानित करने की साजिश है! इन नमूनों को अपने कृत्य पर कोई अफसोस या पछतावा नहीं है ऐसा आरोपी नीरज बिश्नोई के मीडिया में आये बयान से लगता है। इन्हें लगता है कि मुस्लिम औरतों का अपमान कर हिन्दु धर्म का मान बढ़ाया है। इन मूर्खों को कौन समझाए कि ऐसा कर न केवल उन्होंने "यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता" मंत्र देने वाले हिन्दु संस्कृति की अवहेलना की है बल्कि समस्त भारतीय समाज को शर्मशार किया है। गनीमत है कि ऐसे नमूने मुस्लिम समाज में पैदा नहीं हुए हैं ।
Prime Minister's Concern
20 जनवरी 2022 दिल्ली में आजादी के अमृत महोत्सव पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि खराब करने का ट्रेंड बढ़ रहा है और इसे हम केवल राजनीति कहकर टाल नहीं सकते। यह राजनीति नहीं है, यह हमारे देश का सवाल है। उन्होंने इस ट्रेंड को बदलने के लिए non-state actors को सक्रिय होने का आह्वान किया ।
टेलिप्रांम्पटर से भले कुछ कहा जाय वास्तविकता ये है भारत की छवि को किसी ने खराब किया है वो है देश में कुछ सालों से चल रही लोकतंत्र विरोधी कृत्यों और हिन्दु-मुस्लिम के ध्रुवीकरण की राजनीति रही है। फिर चाहे वे मंदिर-मस्जिद के लफड़े हों या लव जिहाद की नारेबाजी या गौ रक्षा के नाम पर मॉब लिंचिंग, एनआरसी या सीएए जैसे कानून या धारा 370 हटाने जैसे फैसले सब इसी राजनीति के परिणाम रहे हैं।
Role of Indian Media
ध्रुवीकरण की राजनीति को हवा देने में सच्ची पत्रकारिता को भुला चुकी भारत की मीडिया का प्रमुख योगदान रहा है।यहां तक कि इसने कोरोना महामारी में भी हिन्दु-मुस्लिम कर दिया था। हर मुद्दे में हिन्दु-मुस्लिम ऐंगल ढ़ूढ़ने वाली ये मीडिया अपने हिन्दु-मुस्लिम संवाद या बकवाद से भारतीय समाज को बदसूरत बना रही है।
टाटा और विरला इसलिये भी जाने जाते हैं कि इन्होंने अस्पताल, मंदिर, धर्मशालाएँ, अनाथालय बनवाये पर आज के अडानी और अंबानी को इसलिए भी याद करेंगे जिन्होने ऐसे बन्दरगाह बनाये जहाँ से नशीले ड्रग की देश सप्लाई होती है और ऐसे न्यूज़ चैनल बनाये जो हिन्दु-मुस्लिम के बीच तनाव फैलाने का बहाना ढ़ूढ़ती रहती है। देश में कहीं चुनाव हो तो इस मीडिया की सक्रियता और बढ़ जाती है और चुनाव की रिपोर्टिंग भी इसी ढर्रे पर उन्मादी हेडिंग के साथ होती हैं।
सरकार चाहे तो इन चैनलों को अपने विज्ञापन रोक इनका चरित्र तुरंत बदल सकती है जिससे समाज में आग उगलने वाले ये न्यूज़ चैनल फौरन सौहार्द के फूल बरसाने लगेगें ! पर सरकार ऐसा चाहेगी ये लाख टके का सवाल है? फिलहाल इन चैनलों को जिस काम के लिए करोड़ों रूपये के विज्ञापन मिलते हैं उस काम को वे अपनी पूरी शिद्दत के साथ कर रहे हैं।
किसानों के खिलाफ तीन कृषि कानूनों का आने और जाने के पीछे मुख्य कारण राजनीति ही रही है।सरकार की नीतियों के खिलाफ बोलने , लिखने और आन्दोलन करने वालों पर देशद्रोह के मुकदमे लगने के कारण और कथित धर्म संसद में मुसलमानों के खुलेआम नरसंहार का आह्वान करने पर भी गृहमंत्री और प्रधानमंत्री की असाधारण चुप्पी के पीछे भी यही राजनीति है। वो तो भला हो सुप्रीम कोर्ट का कि इस मामले में कुछ गिरफ्तारियां हुई हैं।
ये राजनीति ही तो है जब देश में State की सत्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले सबसे बड़े Actor को बाबा विश्वनाथ के नाम पर पवित्र गंगा में डुबकी लगाने के बाद भी औरंगजेब याद आते हों उस देश की गिरती छवि के ट्रेंड को Non state actors कैसे ठीक कर पायेंगे? यदि देश की छवि सुधारनी है तो इस क्षुद्र राजनीति को बदलनी होगी। ये किसी नेता के बस की बात नहीं है ये काम जनता ही कर सकती है।
जनता नेताओं के विभाजनकारी वक्तव्यों और मीडिया के तिलिस्म को तोड़ वास्तविक जनसरोकार के मुद्दों पर मतदान करे तो यह राजनीति बदली जा सकती है। राजनीति सुधरेगी तो मीडिया और सोशलमीडिया भी सुधर जायेंगे और बुल्ली और सुल्ली एप्प जैसे पाप भी नहीं पनपेंगे। ऐसा होगा तभी भारत की छवि और USP अक्षुण्ण रह पायेंगी। दिल्ली और बंगाल की जनता ने इस तिलिस्म को तोड़ दिखाया है अब यूपी सहित पांच राज्यों की बारी है।
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