Exit Polls - An exercise to garner support.एग्जिट पोल - समर्थन जुटाने की कवायद।

खंडन - इस लेख में किये गए व्यंग्य, लेख की रोचकता बनाये रखने के लिये ही किया गया । यदि फिर भी किसी  दिल को चोट पहुँचती है तो उसके लिये  Indianspolitical.com खेद व्यक्त करता है।


an exercise to validate



7 मार्च 2022 यूपी चुनाव के आखिरी चरण के समाप्त होने के फौरन बाद मीडिया के चैनलों पर पांचो राज्य के exit polls के रिजल्ट आने शुरू हो गए। जैसी की 8 सालों से सरकार की निरन्तर भक्तिभाव से सेवा में लगी मीडिया से उम्मीद थी उसी के अनुरूप इन exit poll के रिजल्ट भी आये हैं।पंजाब छोड़ सभी राज्यों में बीजेपी सरकार की वापसी तय कर दी गई है। ये exit poll  नहीं है चरणवंदना है और जिसने जितना खाया उतना निभाया है। समय आ गया है कि इन exit polls से exit  किया जाय। 



माना जाता है की चुनाव की भविष्यवाणी "सेफोलोजी" एक विज्ञान है इस पर विश्वास करना चाहिए। परन्तु यदि  science है तो फिर इन polls  में एकरूपता क्यों नहीं है?किसी क्षेत्र में  कोई  poll किसी को बढ़त दिखला रहा है तो कोई किसी और को। यही हाल सीटों को लेकर भी है। दूसरे इसे विज्ञान( सामाजिक विज्ञान)  तो तभी माना जा सकता जब इस पर गलती के दायरे का प्रतिशत 5% तक हो  उससे अधिक नहीं । 



पर हरियाणा, दिल्ली, बिहार फिर बंगाल के चुनावों के exit polls में गलतियों का यह प्रतिशत 50 तक चला गया। Axis my india एजेन्सी  बंगाल में बीजेपी को 160 सीटों पर जीत बतला रहा था जबकि वास्तव में आई 70। यह विज्ञान था कि तुक्केबाजी , सही हुआ तो वाह-वाह नहीं तो कोई बात नहीं। यही ऐजेन्सी अभी यूपी में बीजेपी को 326 आने की संभावना बता रहा है। कितना भरोसा करें? गलती विज्ञान की नहीं गलत मंशा की है।

 

एक प्रचलित धारणा ये भी रही है Exit polls सही नहीं भी हों लेकिन सभी को एक साथ मिला कर( Poll of polls) देखने से रिजल्ट का ट्रेंड कौन जीत रहा है पता चल जाता है। परन्तु इन सभी में उन exit polls  को भी शामिल करना चाहिए जिन्हें गोदी मीडिया नहीं दिखलाता। इस पोल में डी वी लाईव और हैदराबाद की आत्मसाक्षी ग्रुप जिसकी विश्वसनीयता और सैम्पल साईज भी बड़े हैं उसके परिणाम शामिल क्यों नहीं हैं? 



इनके exit poll  में बीजेपी सभी जगह हार रही है और बहुप्रतीक्षित यूपी  चुनाव में  मात्र 138 से140 सीटें ला रही है जबकि सपा गठबंधन 235 से 240 सीटें जीत कर सरकार बनाने जा रही है। इन विसंगतियों के कारण exit poll देखने का एक नया और मजाकिया ट्रेंड उपजा है वो ये कि गोदी मीडिया के exit poll का पहले  poll of exit polls निकाल लें और फिर उसमें बीजेपी की जितनी सीट आती हों उसे आधी कर दें तो आप वास्तविक परिणाम के नजदीक पहुंच जायेंगे। 



सवाल है कि exit poll विश्वसनीय नहीं रहे हैं तो इन्हें किया और दिखाया क्यों जाता है। इनका उद्देश्य जनता का मनोरंजन और चुनाव के परिणाम प्रति आतुर जिज्ञासा को शांत करना ही है या और कुछ? कई बातें सामने आती हैं।


सर्वप्रथम एक ऐसा माहौल  बनाना और जनमानस को तैयार करना जो किसी भी प्रतिकूल चुनाव  परिणाम के प्रति सहज रह सकें। यदि परिणाम पोस्टल बैलट से ही बदल जायें तो भी कहीं चुचुपड़ ना हो। उल्लेखनीय है कि यूपी की हर सीट पर इनकी संख्या 4500 से 14000 तक हैं।  बिहार विधानसभा 2020 के रिजल्ट से सहमा विपक्ष पोस्टल बैलट की गिनती पहले कराने की मांग इसी आशंका से कर रहा है।


 
दूसरे, मतगणना में लिप्त उन चुनाव अधिकारियों को प्रभावित करना जिनकी भूमिका कम मार्जिन वाले सीटों पर महत्वपूर्ण हो जाती हैं।  यही कारण है कि समाजवादी पार्टी ने हर ज़िले में मतगणना केंद्र पर वकीलों की उपस्थित को सुनिश्चित करने के लिए जिला अध्यक्षों को निर्देश जारी किये हैं। तीसरे इन exit polls का उद्देश्य चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों में अपनी पार्टी के जीत के प्रति आशंका पैदा कर खरीद-फरोक्त का जमीन तैयार करना है। 




ऐसे में ये exit polls चुनाव के परिणाम की भविष्यवाणी नहीं करते हैं बल्कि वास्तव में चुनाव जीतने और सरकार बनाने के उपकरण(tool) का काम करते हैं। ये किसी विशेष उद्देश्य को लेकर की जाने वाली तुक्केबाजी है जो यदा-कदा ही सही होती है ं। विपक्ष को सावधान रहना चाहिए और जनता को  exit polls नहीं exact poll  का इंतजार करना चाहिए। 

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Parimal

Most non -offendable sarcastic human alive! Post Graduate in Political Science. Stay tuned for Unbiased Articles on Indian Politics.

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