कांग्रेस की उदयपुर चिंतन शिविर में देश में बढ़ रही विभेदकारी साम्प्रदायिक माहौल को देखते हुए "भारत जोड़ो आन्दोलन" चलाने की बात कही गई। कांग्रेसी इस पर अमल जब करते- तब करते पर बीजेपी ने एक तो ठीक से सुना नहीं और उपर से इसे दिल पर ले लिया। "जोड़ो" को "खोदो" समझ लिया।
फलत: देश के कोने-कोने से मस्जिद और मुस्लिम निर्मित इमारतों पर सवाल उठने लगे यहां तक की ताजमहल, दिल्ली की कुतुबमीनार और जामा मस्जिद पर भी मंदिर के दावे किये जाने लगे।काशी और मथुरा के मामले तो कोर्ट में पहुँच चुके है जबकि बीजेपी नेताओं की बयानबाजी आसमान पर। ये लोग जोड़ने की बजाय खोदने की बात करने लगे।
तेलंगाना के बीजेपी प्रमुख बांदी संजय ने कहा आइए हम तेलंगाना की सभी मस्जिदों को खोदें। अगर कंकाल मिलते हैं, तो हम मस्जिदों को उन पर छोड़ देंगे। कर्नाटक के भाजपा विधायक केएस ईश्वरप्पा ने कहा, "36,000 मंदिरों को नष्ट कर दिया गया है हम उन्हें अपने मंदिरों पर मस्जिद बनाने की अनुमति नहीं दे सकते।
बिहार में भाजपा के फायर ब्रांड नेता हरि भूषण ठाकुर बचौल ने कड़ा बयान देते हुए कहा कि जो हमारी चीज हैं उसे लोग लौटा दें नहीं तो देश के 30 हजार मस्जिदों को भी खुदवाकर मंदिर निकाल लिया जायेगा। यूपी के बीजेपी के सांसद साक्षी महाराज का खोदजनक उत्साह की सीमा के क्या कहने !उनका दावा है कि दिल्ली के जामा मस्जिद खोदें मन्दिर ना निकले तो मैं फांसी चढ़ जाऊंगा।
सच या झूठ यूपी की बड़ी पार्टी के किसी नेता ने पटना के गोलघर देख कर भी ----मिल गए---- मिल गए की आवाज लगा दी। जब उन्हें बतलाया गया कि ये इमारत किसी मुसलमान ने नहीं बल्कि आपके श्रधेय अंग्रेज ने बनवाया था तब कहीं उनके खोदजनक उत्तेजना शांत हुई।
इस विचित्र, अराजक और कटु स्थिति में मैने एक पैरोडी गीत लिखने की धृष्टता की है जिसकी प्रेरणा फिल्म "रोटी कपड़ा और मकान" के गीतकार श्री संतोष आनन्द के प्रसिद्ध गीत" मैं ना भूलूंगा " से मिली है।
मैं ना खोदूंगा, मैं ना खोदूंगी,
मैं ना खोदूंगा मैं ना खोदूंगी।
उन मस्जिदो को,उन महलों को,उन मीनारों को ,नीचे मंदिर हो ना हो।
मैं ना खोदूंगा,
मैं ना खोदूंगी।
चलो कुदाल को लें लें, नदाल में झूलें, जंगोजिदाल संग डोलें
आ मैं भाईचारे की कब्र खोद दूं तू दंगाई बन जा।
दंगों का निर्दोष लाशों से रिश्ता मैं ना भूलूंगी।
मैैं ना खोदूंगी
मैं ना खोदूंगा।
समय की धारा में जीडीपी बह जानी है, बेकारी में जी लेंगे हम जितना खोदेंगे हम, वही रह जानी है,
जा महंगाई की बात नहीं करता भले तू भूखी मर जा।
मुफ्त राशन का है वोटों से वास्ता, मैं ना मरूंगी।
मैं ना खोदूंगी
मैं ना खोदूंगा।
बरसता प्रशासन हो,दरकता लोक शासन हो,
कभी दिल दहला हो, कभी दिल में सिहरन हो,
सीबीआई गगन बनकर झूमे, ईडी पवन बन कर घूमे,
इनकमटैक्स राहे मोड़े एनआईए कभी न संग छोड़े,
कहीं पे छुप जाना है, नजर नहीं आना है ,
फंसा दिये जायेंगे, ये दिन कैसे कट पायेंगे।
वो देखो कैसी हवा चली, इंसानियत जाग उठी,
कट्टरता फना हुई ,"भारत जोड़ो यात्रा" चल पड़ी
मैं मन को ही मंदिर-मस्जिद कर डालूं तू भारतीय बन जा।
हिन्दु-मुस्लिम का भारत से रिश्ता मैं ना भूलूंगी।
मैं ना खोदूंगी,
मैं ना खोदूंगा।
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Good one
जवाब देंहटाएंExcellent sattire
जवाब देंहटाएंBahut Khoob vishleshan...Parody to kamaal ki hai!!
जवाब देंहटाएंKaash sach mein logon ki bhartiyata jaag pade...sadbuddhi den bhagwan sabko
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंab Narendra Modi ka sir khoda raha hai jisame bhoosa bhara hua hai dubakar baita hai 😂
जवाब देंहटाएंVery nice .....kamaal ki tukbandi...jagega insaan jamana dekhega
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