खंडन - इस लेख में किये गए व्यंग्य, लेख की रोचकता बनाये रखने के लिये ही किया गया । यदि फिर भी किसी दिल को चोट पहुँचती है तो उसके लिये Indianspolitical.com खेद व्यक्त करता है।
कांग्रेस पार्टी द्वारा कन्या कुमारी से कश्मीर तक निकली भारत जोड़ो पदयात्रा राज्य दर राज्य सफलता के नये आयाम रचती जा रही है। यात्रा में उठाये जाने वाले महंगाई, बेकारी, आर्थिक असमानता जैसे मुद्दे और नफरत छोड़ प्यार बांटते हुए भारत जोड़ने का प्रयास जनता को आकर्षित कर रही है। यात्रा के दौरान जनता की उमड़ती भीड़ जहां कांग्रेस पार्टी में नवीन उत्साह पैदा कर रही है वहीं श्री राहुल गांधी द्वारा, आरएसएस की विभाजनकारी विचारधारा, सरकार की नीतियों और गोदी मीडिया के क्रियाकलापों पर हमलावर तीखे प्रेस कॉन्फ्रेंसों ने, सत्तारूढ़ बीजेपी की नाक में दम कर रखा है। यही कारण है कि इस ठंड में टी शर्ट में चल श्री राहुल गांधी रहे हैं पर कंपकपी किसी और की छूट रही है।
Trouble with t-shirts
भारत जोड़ो यात्रा को श्री राहुल गांधी बार-बार तपस्या बतलाते रहे हैं और ऐसे में कड़कड़ाती ठंड में मात्र टी- शर्ट में चलना चाहे-अनचाहे उनकी छवि एक ऐसे तपस्वी की गढ़ रही है जिसे ठंड नहीं लगती। यह छवि ही बीजेपी और उनकी गोदी मीडिया की परेशानी का असल कारण है। क्योंकि एक तो इतने पैसे और मेहनत से गढ़ी गई पप्पू की छवि बर्बाद हो रही है दूसरा डर है कि उनके कथित यशस्वी के लिये यह नूतन तपस्वी खतरा ना बन जाय।
यद्यपि श्री राहुल गांधी ने स्पष्ट रूप से कह दिया जब मुझे ठंड लगेगी तो स्वेटर पहन लूंगा। फिर भी परेशानी दूर नहीं हुई। सच है कि डर बुध्दि हर लेता है यही कारण है कि कोई टी-शर्ट पर शोध की बात कर रहा है किसी ने टी-शर्ट में हीटर फिट होने की थ्योरी ही चला दी है। बिलकुल 2000 के नोटों में चिप की तरह। इसे सही मानने वाले मूर्खों की कमी ना उस वक्त थी ना अब है।
कहावत है कि परेशानी में लोगों को या तो नानी याद आती है या भगवान । भारत जोड़ो यात्रा के कारण ऐसा पहली बार हुआ कि नानी की बजाय कोरोना की याद आई, उससे बात नहीं बनी तो फिर सुदूर त्रिपुरा से अयोध्या के भगवान श्री राम को भी आवाज दिया जाने लगा। विश्वास नहीं होता तो देख लीजिए -
Fear of corona
भारत जोड़ो यात्रा की राजस्थान में मिली सफलता से हताश राजस्थान के बीजेपी के तीन सांसदों ने देश के स्वास्थ्य मंत्री से अपील कर दी यह यात्रा कोरोना फैला रही है इसे रोका जाय। स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने इसी आधार पर श्री राहुल गांधी और राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत को चिट्ठी लिखकर कोरोना प्रोटोकॉल पालन करने , नहीं तो यात्रा स्थगित करने की नसीहत दे दी। आश्चर्यजनक था कि देश में कहीं भी कोरोना प्रोटोकॉल अव्वल तो लागू नहीं था दूसरे नसीहत सिर्फ राहुल गांधी को।
स्वास्थ्य मंत्री के पत्र का जवाब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दिया।जिसमें प्रधानमंत्री की दो दिनों पहले ही त्रिपुरा में हुई रैली का जिक्र करते हुए कहा कि अगर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को कोरोना को लेकर वास्तविक चिंता है तो उन्हें सबसे पहला पत्र प्रधानमंत्री को लिखना चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने सवाल किया कि भाजपा, राजस्थान और कर्नाटक में यात्रा निकाल रही है, क्या स्वास्थ्य मंत्री ने उन्हें भी पत्र भेजा है? देश में कोरोना प्रोटोकॉल पहले लागू तो हो तब तो हम पालन करेंगे!कोई जवाब ना था और ना मिला। उल्लेखनीय है कि यह प्रोटोकॉल अभी तक नहीं लागू किया गया है।
दरअसल स्वास्थ्य मंत्री की ये हड़बड़ाहट भारत जोड़ो यात्रा को दिल्ली पहुंचने से पहले रोकने को लेकर थी ताकि इसका देशव्यापी मीडिया कवरेज ना हो सके। अभी तक गोदी मीडिया ने इस यात्रा का एक तरह से बायकाट कर रखा था अगर कवरेज किया भी तो ट्रोल आर्मी की तरह। देश की राजधानी में ये ऐसा नहीं कर सकती थी। पर इसी हड़बड़ी में
अरर र..गड़बड़ हो गई.....सीटी बज गई( फजीहत हो गई)।
यात्रा को रोकने पर असफलता हाथ लगती देख ये कोशिश की जाने लगी दिल्ली में यह यात्रा सफल न हो। तदनुसार संसद में बीजेपी सांसदो ने अचानक मास्क धारण कर लिया। गोदी मीडिया पर कोरोना की खबरें चलनी लगी। उच्च स्तरीय मीटिंग की जाने लगी। एयरपोर्ट के लिये नये दिशा निर्देश जारी किए गए। अस्पतालों मेें मॉक ड्रील किया जाने लगा। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा संभवतः भारत जोड़ो यात्रा के बचे दिनों का ध्यान रख अगले 40 दिनों को कोरोना को लेकर देश के लिये खतरनाक बता दिया गया।इन तमाम नौटंकियों के बावजूद भारत जोड़ो यात्रा दिल्ली पहुंची भी और उसको यहां भी जबरदस्त जन समर्थन मिला।
Remembering the Ayodhya temple
भारत जोड़ो यात्रा का दिल्ली से निकल जाने के साथ ही देश और गोदी मीडिया से कोरोना संकट भी निकल गया परन्तु बीजेपी के लिए भारत जोड़ो यात्रा एक दीर्घकालीन संकट का रूप लेता जा रहा है। क्यों कि इस यात्रा से देश की राजनीति का पहिया कुछ -कुछ उल्टा घूमने लगा है। कश्मीर में कांग्रेस छोड़ गुलाम नबी के साथ जाने वाले लगभग सारे नेता वापिस कांग्रेस में आ गए हैं जबकि हाल के वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ कि बीजेपी के कुछ विधायक बीजेपी छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए हैं।
यह दुर्घटना त्रिपुरा में घटी है जहां इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इस स्थिति ने वहां जनसभा कर रहे मोटा भाई ( कृपया गुजराती भाषा में ही अर्थ लगाया जाय) को इतना बेचैन कर दिया कि उन्हें भगवान राम और अयोध्या मेें बन रही उनके मंदिर की याद आ गई। "राहुल बाबा कान खोल कर सुन लो 1 जनवरी 2024 को एक गगनचुंबी राम मंदिर अयोध्या में तैयार मिलेगा।" ये घोषणा था या प्रलाप? एक साल पहले घोषणा का तो कोई अर्थ नहीं निकलता! हुं! दूसरा वाला ही सही लगता।
अयोध्या मंदिर पर कांग्रेस का शुरू से स्टैंड रहा जो कोर्ट कहेगा वो माना जायेगा। यह मंदिर भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश से ही निर्मित ट्रस्ट बना रहा है। किसी सितारे या पुच्छल तारे का इसमें कोई योगदान नहीं है। मंदिर गगनचुंबी इस साल तक नहीं बन पायेगा सिर्फ एक मंजिल तक ही बन सकेगा ऐसा उनका कहना है जो ये मंदिर वास्तव में बनवा रहे हैं, ना कि ऊंचा, ऊंचा और गगनचुंबी छोड़ रहे हैं । रही उद्घाटन तिथि 1 जनवरी की बात तो जब माता की मृत्यु पर भी बालों का मुण्डन नहीं हो सकता तो खरमास ( अशुभ महीना) में मंदिर का उद्घाटन भी हो ही सकता है। संस्कारी लोग हैं ! कुछ भी मुमकिन है।
जहां तक राहुल बाबा की बात है तो उत्तर भारत में बाबा, दादा( Grand Father) को कहा जाता है और वे मीडिया के गढ़े पप्पू नहीं हैं उन्हें सब पता है तभी तो भारत जोड़ो यात्रा पर निकले हैं। उन्हें पता है की देश के असली मुद्दे मंहगाई, बेरोजगारी, गरीबी, रूपये के अवमूल्यन, आर्थिक असमानता, देश की सम्पत्ति बेचने, किसानों की दुर्दशा जैसे प्रश्नों पर सत्तानसीन मित्रों के पास कोई जवाब नहीं है।
ऐसे में इन मित्रों के पास जो बचा है वही करेंगे। बचा क्या है नफरत। नफरत चाहे किसी नाम पर हो। धर्म के नाम पर, मंदिर-मस्जिद के नाम पर, लव जिहाद के नाम पर, हिजाब के नाम पर, टीपू सुल्तान के नाम पर, जाति के नाम पर या फिर राज्यों के बीच भू-भाग के नामपर (महाराष्ट्र-कर्नाटक) नफरत के लिए कुछ भी। बाटेंगे राज करेंगे।
अरे हम तो नफरत करेगा, दुनिया से नहीं डरेगा।
डा डा डा डा!
श्री राहुल गांधी नफरत के इसी बाजार में भारत जोड़ो यात्रा द्वारा मुहब्बत की दुकान खोल रहे हैं। यह चुनावी राजनीति की छोटी लड़ाई नहीं है नफरती विचारधारा के खिलाफ मुहब्बत की विचारधारा का प्यार से लड़ा जाने वाला महायुध्द है।
नफरत के महासागर में डुबकी लगाने वाले प्यार की इन बूंदों की कीमत तुम क्या जानो रमेश बाबू?
यह देश और समाज बांटने के खिलाफ जोड़ने का अभियान है। जनता के मस्तिष्क से गोदी मीडिया द्वारा आरोपित डर और नफरत का जहर निकाल दिल में आपसी भाईचारा और प्रेम का अमृत भरने का किया जाने वाला कांग्रेस का सर्जिकल स्ट्राईक है। इसका उद्देश्य चुनाव जीतना नहीं बल्कि अनेकता में एकता की असाधारण गुण रखने वाले देश की पहचान कायम रखना है। अगर इस सर्जिकल स्ट्राइक को जितनी भी मात्रा में कामयाबी मिलती हो जिससे अगर चुनाव में भी जीत हो जाती हो कांग्रेस पार्टी को बुरा क्यों कर लगेगा! चुनावी जीत परिणाम भले हो जाय भारत जोड़ो यात्रा का उद्देश्य नहीं है।
अंत में निवेदन -किशोर कुमार का ये पूरा गाना नित प्रातः काल सुनने से अंधभक्ति पीड़ित अच्छे-अच्छों को ठीक होते देखा गया है-
हो प्यार बांटते चलो प्यार बांटते चलो हे प्यार बांटते चलोप्यार बांटते चलोक्या हिन्दू क्या मुसलमानहम सब हैं भाई भाई।
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Zabardasttt.....desh se pyar karnewale sabhi bhartiya aapas me mil kar rahna chahte hai...desh prem ka natak karne walon ko sadbudhi mile...
जवाब देंहटाएंRahul Gandhi Andhi hain kisime itni himmat nahi hai jo unko rok sakata hai Narendra modi ko bhi ab samajh agaya hoga Dara hua hai
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