Rahul exposed Modi in Parliament? राहुल ने संसद में मोदी को बेनकाब किया ?

 खंडन - इस लेख में किये गए व्यंग्य, लेख की रोचकता बनाये रखने के लिये ही किया गया । यदि फिर भी किसी  दिल को चोट पहुँचती है तो उसके लिये  Indianspolitical.com खेद व्यक्त करता है। 

 



rahul exposed bjp

भारत जोड़ो यात्रा के बाद से श्री राहुल गांधी का केवल राजनीतिक कद ही नहीं बढ़ा  बल्कि उनकी अभिव्यक्ति की क्षमता भी बढ़ी है। इसकी एक बानगी संसद में भी दिखी। 7 फरवरी 2023 संसद में दिए गए ऐतिहासिक भाषण द्वारा श्री राहुल गांधी ने अडानी मामले को लेकर न केवल  Crony Capitalism  के रूप में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर किया बल्कि  अडानी का प्रधानमंत्री मोदी साथ गहरे रिश्ते के पर तथ्यपूर्ण सवालों की झड़ी लगा Modi Ecosystem में रचे गए " ना खाऊंगा ना खाने दूंगा" के तानेबाने की धज्जियां उड़ा कर रख दी। अपने भाषण में राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री पर , मित्र अडानी को खिलाने का ही नहीं बल्कि  ठूंस-ठूंस कर खिलाने के आरोप लगाए वहीं  "ना खाउंगा" के उनके बड़बोलेपन पर ही सवाल खड़े कर दिए। 


Rahul Gandhi  Valid Questions on Adani 

प्रधानमंत्री का अडानी के साथ की गई विदेश यात्राओं , विदेशों से अडानी को मिले ठेके, नियमों को शिथिल कर अडानी को एयरपोर्ट, डिफेंस,कोयले खदान और अन्य सरकारी उपक्रमों देने, मुंबई एयरपोर्ट अडानी को दिलाने में सीबीआई, और ईडी जैसी सरकारी ऐजन्सियों के इस्तेमाल, अडानी की सेल कम्पनियाें में लगे पैसे, स्टेट बैंक द्वारा दिए गए अडानी को कर्ज और एलआईसी द्वारा अडानी की कम्पनियों के शेयरों की खरीद तथा सितारे के साथ अडानी की निकटता प्रदर्शित करने वाले तसवीर दिखा पूछ दिया कि ये रिश्ता क्या कहलाता है। 

Prime Minister's strange answer

मदर ऑफ डेमोक्रेसी के देश में प्रेस कॉन्फ्रेंस से दूर रहने और सिर्फ मोनोलॉग में विश्वास रखने वाले अनोखे जनतांत्रिक शासक के पास इतने सवालों का जवाब ना तो था ना ही दिया गया। क्रोध और आवेश में दोनों सदनों में दिये गए भाषणों में पिछली सरकारों को पानी पी पी कर कोसा गया , एक अकेला सब पर भारी कह खुद की पीठ थपथपाई गई और नेहरू -गांधी सरनेम को लेकर मूर्खोचित बकवास किया गया। ऐसा लगा मानो किसी स्कूली बच्चे ने  परीक्षा में पूछे किसी सवाल का जवाब ना आने पर अंट-शंट  लिख कर पन्ना भर दिया हो। 

Action on Rahul Gandhi

पर राहुल गांधी ने सवाल किसी स्कूली बच्चे से नहीं पूछा था बल्कि सत्ता के शीर्ष पर बैठे उस शख्स से पूछा था जिसकी पूरे देश में मन की बात ही नहीं मन की मर्जी चला करती थी। यह संसद में भी चली। विपक्ष "मोदी अडानी भाई-भाई, देश बेच खाई मलाई" के नारे के साथ जेपीसी की मांग करता रहा पर हुआ ये कि संसद के रिकॉर्ड से श्री राहुल गांधी के भाषण से उन अंशों को ही  निकाल दिया गया जहां अडानी का जिक्र हुआ था। राज्य सभा में कांग्रेस अध्यक्ष श्री खड़गे के भाषण के साथ भी यही किया गया। 


इतना ही नहीं प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस के प्रवक्ता श्री पवन खेड़ा द्वारा अडानी के पिता गौतमदास का नाम मजाक में सितारे से जोड़ना फिर माफी मांगने के बावजूद इतना अपमान जनक लगा कि कभी ईडी पीड़ित कांग्रेसी अब बीजेपी के मुख्यमंत्री के असम राज्य की पुलिस ने उन्हें ऐरोप्लेन से उतार गिरफ्तार कर लिया।यद्यपि कांग्रेस की लीगल टीम की सक्रियता से श्री खेड़ा को सुप्रीम कोर्ट से बेल मिल गई पर दुनिया के सामने यह तथ्य उजागर हुआ कि सत्य इतना भी कड़वा हो सकता है कि दोस्त का नाम असंसदीय हो जाय उसके पिता का नाम अपमान जनक गाली! 

" दोस्त दोस्त ना रहा, प्यार प्यार ना रहा"


यह तय हुआ कि राहुल गाँधी को दुबारा संसद में बोलने नहीं दिया जायेगा। क्योंकि उनका बोलना अडानी के दोस्त के हृदय को विचलित कर देता है। इसके लिये पहले तो कैम्ब्रिज यूनीवर्सिटी में दिये गए राहुल गांधी के भाषण पर देश का अपमान का झूठा आरोप लगा "राहुल गाँधी माफी मांगो" के नारे साथ संसद की कार्रवाई ठप्प कर दिया गया। श्री राहुल गांधी ने अपना पक्ष लोकसभा में रखना चाहा तो  इसकी भी इजाजत  स्पीकर द्वारा नहीं दी गई। "राहुल गांधी को बोलने दो " के नारे जब सम्पूर्ण विपक्ष ने लगाये तो संसद की माईक तक म्यूट कर दिया गया। इस तरह सत्ता पक्ष द्वारा ही संसद ठप्प रखने का अजीबोगरीब इतिहास बनाया गया। सच! सितारे के लिये कुछ भी मुमकिन है। 


अडानी के प्रश्नों से तिलमिलाए तानाशाही को इतने से चैन नहीं पड़ा।अत: गुजरात के निचली अदालत में सुप्त पड़े अपराधिक मानहानि के मामले को निकाला गया। साल 2019 का ये मामला कर्नाटक की चुनावी रैली में 'मोदी सरनेम' को लेकर राहुल गांधी की एक टिप्पणी से जुड़ा हुआ है जिसमें उन्होंने नीरव मोदी, ललित मोदी और नरेन्द्र मोदी का नाम लेते हुए  व्यंग्यात्मक लहजे में कहा था, "कैसे इन सभी चोरों का सरनेम मोदी है?" उल्लेखनीय है कि "सभी मोदी चोर हैं" ये नहीं कहा था जैसा कि बीजेपी के तमाम नेता और उनकी गोदी मीडिया बतलाती रही है।


ये मुकदमा इन तीनों में से किसी ने नहीं किया बल्कि बीजेपी के पूर्व मंत्री श्री पूर्णेश मोदी ने किया ।16 फ़रवरी को याचिकाकर्ता पूर्णेश मोदी ने हाईकोर्ट से खुद की मांगी गई स्टे वापस लेने की मांग की।  निचली अदालत के  नये जज 27 फ़रवरी को मामले को सुनना शुरू करते हैं और फास्ट ट्रैक अंदाज में 23 मार्च को मामले में राहुल गाँधी को  2 साल की अधिकतम  जेल की सजा सुना देते हैं। माननीय जज साहिब ने यह सजा एक दिन की भी कम की सुनाई होती तो राहुल गांधी की सदस्यता बच जाती पर पता नहीं उन पर कौन *"शाह" पहाड़ टूट पड़ता? 


परन्तु इस घटिया निर्णय और दो साल की सजा के कारण राहुल गांधी की संसदीय सदस्यता छीन ली गई और आनन फानन में उनसे सरकारी आवास भी खाली करा लिया गया। इस तरह क्रोध में आई तानाशाही कलेजे को  ठण्डक मिली। पर श्री राहुल गांधी पर की गई ये तमाम कारवाईयां और संसद में मचे घमासान , दोनों भले ही विधिसम्मत  दिखे पर प्रजातांत्रिक मूल्यों के अनुरूप और विवेकसम्मत तो कतई नहीं थे। ऐसी ही स्थिति के लिये ही राष्ट्रकवि दिनकर यह कह गये हैं 

" जब नाश मनुष्य पर छाता है पहले विवेक मर जाता है।

कलेजे को मिली ये ठण्डक कुछ देर ही रही। क्योंकि श्री राहुल गांधी और आक्रमक हो गए अडानी को लेकर सरकार पर तीखे सवाल वह उपलब्ध हर मंच से उठाने लगे। इसमें उनको विपक्ष का साथ भी मिलने लगा।इसके अलावा तानाशाही प्रताड़ना के खिलाफ जनता से मिली सहानुभूति ने उनकी लोकप्रियता को और बढ़ा दिया जबकि सितारे की चमक फीकी पड़नी लगी। कर्नाटक के विधान सभा के चुनाव परिणाम ने इसका एक ट्रेलर दिखा दिया है। मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के आगामी चुनाव परिणाम के बाद स्थिति और स्पष्ट होगी। 

अंत में

सुन साहिबा सुन, विदाई की धुन! 

जिसने तुम्हें चुन लिया, वो रही सिर धुन। 

*बूझ मेरा क्या नाम रे, गुजरात में है मेरा गांव रे! 






  










 




Parimal

Most non -offendable sarcastic human alive! Post Graduate in Political Science. Stay tuned for Unbiased Articles on Indian Politics.

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