खंडन - इस लेख में किये गए व्यंग्य लेख की रोचकता बनाये रखने के लिये ही किया गया । यदि फिर भी किसी का दिल दुखे उसके लिये Indianspolitical. com खेद व्यक्त करता है।
22 जनवरी 2024 के दिन बहुचर्चित और बहुप्रतीक्षित अयोध्या में बनाये गए राम मन्दिर में प्राणप्रतिष्ठा का धार्मिक कायर्क्रम पूरे राजनैतिक धूमधाम से सम्पन्न हो गया। ऐसा कहा जा रहा है कि भगवान् राम की प्राणप्रतिष्ठा ने बीजेपी के लिये 2024 लोकसभा चुनाव में भी प्राण फूंक दिया है क्योंकि उनके नेता ने इस अनुष्ठान का क्रेडिट लेने में और मीडिया ने उन्हें देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अबकी बार चार सौ पार के नारे की धुन इसके बाद ही बजनी शुरू हुई है।
इस धुन को इस तीव्रता से बजाया गया जिस किसी में राम जिस रूप में भी थे वो बाहर आ गए। सिध्द बलात्कारी राम रहीम पैरोल पर बाहर निकल गए( इतने सिध्द पुरूष को बार-बार पैरोल, जेल में रखा ही क्यों है? ) तो एक और राम बिहार के प्रसिद्ध पलटूराम ने फिर पलटी मारी और एनडीए में चले गए। इस बार उन्होंने पलटने की कोई खास वजह भी नहीं बतलाई। बस पलटपन ने जोर मारा पलट लिये। सिध्द बलात्कारी के लिये कोर्ट ने 60 दिनों की अवधि तय कर दिया है पर पलटूराम पर फिर पलटपन कब हावी होगा वो तो राम ही जाने।
भगवान् राम की महिमा का एक कमाल और दिखा कि नित राम का जपने वाली दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी का Election bond के रूप में किये जाने वाले असंवैधानिक पाप को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर पवित्र कर डाला है। जहां तक अबकी बार 400 पार की बजने वाली धुन का सवाल वो राम में आस्था से अधिक EVM में विश्वास का मामला दिखता है। यहां भी राम कृपा से यह सत्य उजागर हुआ है EVM बनाने वाली कंपनी BEL के बोर्ड ऑफ डायरेक्टरके कुल 7 सदस्यों में से सरकार ने जो 4 प्रतिनिधि बैठा रखे हैं वो सबके सब बीजेपी के पदाधिकारी हैं। ऐसे में EVM पर शक ना करने की गुंजाइश बचती है क्या?
भगवान राम में आस्था हर हिन्दु की है इसलिए भगवान राम सबके है किसी पार्टी के नहीं।अयोध्या में राम मंदिर बना है तो अधिकतर लोगों को अच्छा लगा है पर जहां तक क्रेडिट की बात है वो किसी को है तो वो सुप्रीम कोर्ट को है! उन्हें भी नहीं जिन्होंने मंदिर निर्माण के लिये रथयात्रा निकाली थी और जिन्हें प्राण प्रतिष्ठा में ना आने का आमंत्रण भेजा गया। ना आने का आमंत्रण? ये कैसे मुमकिन है? अच्छा! भूल ही गया कि फलाना हों तो मुमकिन है।
वास्तविकता ये है यदि देश के प्रधानमंत्री श्री फुंगसुक बांगरू भी होते तो भी राम मन्दिर का निर्माण होता क्योंकि ऐसा सुप्रीम कोर्ट का आदेश था। ओ हो ! यदि देश के प्रधानमंत्री सरदार पटेल अरे धत! श्री फुंग सुक बांगरू होते तो~ तो कुछ और बात होती। प्राणप्रतिष्ठा शंकराचार्य के कहे अनुसार समयपूर्व की बजाय समय से होते। वातावरण शान्तिपूर्ण, सहिष्णु, धार्मिक और अध्यात्मिक होता। किसी प्रकार की राजनीतिक प्रोपेगेंडा और उन्माद की जरूरत नहीं पड़ती ना ही इसके लिये पैसा पानी की तरह बहाया जाता।
ना ही सार्वजनिक छुट्टी की जाती और ना ही नेता का भाषण होता और ना ही शंकराचार्यो का अपमान कर हिन्दु धर्म को संकट में डाला जाता। इस आयोजन में शासन के प्रतिक राष्ट्रपति की गरिमामयी उपस्थिति होती और गर्भ गृह में रामलला के पास संभवतः शंकराचार्य ही दिखाई देते , लोकतंत्र और सेकुलरिज्म के संकटाचार्य नहीं। आयोजन में जुटने वाले रामभक्तों की संख्या नेता भक्तों से अधिक होती।
भक्ति की बात चली है तो नेता भक्ति की पराकाष्ठा राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के महासचिव श्री चंपत राय के उस वक्तव्य में दिखने को मिली जिसमें उसने प्रधानमंत्री को विष्णु का अवतार बतला दिया। यदि फुंग सुक बांगरू प्रधानमंत्री होते तो फौरन प्रेस कांफ्रेस कर देश को बतलाते " मैं विष्णु अवतार नहीं, फुंग सुक बांगरू हूँ । भगवान् के मुख से गीता के वचन निकला करती हैं, जुमले नहीं।"
भाजपा के फरवरी 2024 के राष्ट्रीय अधिवेशन में पारित प्रस्ताव कहा गया है कि राम मन्दिर की स्थापना अगले 1,000 वर्षों के लिए भारत में 'राम राज्य' की स्थापना का प्रतीक है और एक नए कालचक्र की शुरुआत है। नए काल चक्र की शुरुआत? यह किस देवता ने कर दी! हे राम! हम भगवान् राम के त्रेता युग में आ पहुँचे और पता भी ना चला। हद हो गई। पेगासस के बारे में सुना था क्या टाईम मशीन भी ले आए ?
ऐतिहासिक रूप से आधुनिक काल में मंदिर-मस्जिद का रिवर्स गीयर लगा राजनैतिक परिदृश्य को मध्यकाल में पहुंचा देने की बात तो सही लगती है पर पौराणिक आस्था में रिवर्स गीयर कुछ ज्यादा ही हो गया? ये ना तो जंचता है और ना ही पचता है। ऐसे में अगर देश के प्रधानमंत्री श्री फुंग सुक बांगरू होते फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते?अरे हां भाई प्रेस कॉन्फ्रेंस! श्री बांगरू को प्रेस से डर नहीं लगता।
"भाईयों और बहनों, त्रेता युग की बात गलत है, हम अभी कलयुग में ही हैं इसके बाद सतयुग ही आयेगा जैसा कि शास्त्रों में कहा गया है। लेकिन सतयुग लाने के लिये हमें घोर कलयुग में जाना होगा इसके लिये हम कृत संकल्पित हैं और पिछले दस सालों में हमने इस दिशा में अपने प्रयासों की गति तीव्र कर दी है। भक्तों का साथ भक्तों का विश्वास से मुझे एक मौका और मिला तो हमें पूरा यकीन है हम अवश्य कामयाब होंगे।
भारत माता की जय! जय श्री राम!"
Bahut SATEEK
जवाब देंहटाएंसहज और सरल शैली में रोचक कटाक्ष..... उम्दा लेखन
जवाब देंहटाएंAdha adhura Ram mandir janata per ye kahawat fit baitata hai andha guru bahara chela mange gud debe dhela
जवाब देंहटाएंएक दृष्टिकोण ऐसाभी ।सत्ता पक्ष की कलाबाजी इसी को कहते हैं कुछ तो साथ होंगें ।आप की राय प्रसंशनीय है बधाई।
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