2024 Haryana election Did the golden Election Commission do a miracle ?2024 हरियाणा चुनाव सोने सा खरा चुनाव आयोग ने किया चमत्कार?



खंडन - इस लेख में किये गए व्यंग्य, लेख की रोचकता बनाये रखने के लिये ही किया गया । यदि फिर भी किसी  दिल को चोट पहुँचती है तो उसके लिये  Indianspolitical.com खेद व्यक्त करता है। 

हरियाणा और जम्मू कश्मीर चुनाव के नतीजे आ गये। तमाम राजनैतिक विश्लेषक और जमीन पर काम करने वाले पत्रकार, यहां तक फर्जी एक्जिट पोलवालों का भी आकलन था कि कोई चमत्कार ही हरियाणा में बीजेपी को जीत और कांग्रेस को हरा सकती है । जिस देश का नेतृत्व किसी Nonbiological के हाथ में हो और उसकी मुठ्ठी में खरा सोना( Gold Standard) जैसा चुनाव आयोग हो चमत्कार की उम्मीद लगी ही रहती है। वो चमत्कार हो ही गया बीजेपी 48 सीटों पर जीत गई और कांग्रेस 37  पर रह गई।तरीका वही 2024 की आजमाया हुआ सोने सा खरा Extra 2ab वाला अर्थात मतदान के आंकड़े में अस्वाभाविक  वृद्धि? ? अन्तर यही है कि देश के चुनावी इतिहास में पहली बार हारने वाली पार्टी  ने इस चमत्कारी परिणाम को मानने से इंकार कर दिया है। पार्टी का कहना है कि हरियाणा में कांग्रेस पार्टी हारी नहीं हराई गई है।  

 

सवाल ये उठे कि यदि ये चमत्कार है तो जम्मू और कशमीर में क्यों नहीं किया गया वहां विपक्ष का  INDIA गठबंधन कैसे जीत गया? कहीं इसलिये तो नहीं  कि हरियाणा के परिणाम लोगों को  स्वाभाविक लगे और आसानी से जज्ब् हो जाय? वैसे भी जम्मू और कश्मीर जैसे यूनियन टेरिटरी का शासन तो गवर्नर को ही चलानी है। दूसरी बात, हार के भी सरकार कैसे बनाई जाती है उसमें बीजेपी चैम्पियन है कोई चिंता नहीं वो आज नहीं तो कल हो ही जायेगा। बात करते हैं! 

Why is a miracle needed?

दरअसल बीजेपी के लिए हरियाणा चुनाव अधिक महत्वपूर्ण था क्योंकि विपक्ष के नेता श्री राहुल गांधी की  लोकप्रियता और कांग्रेस की बढ़ती ताकत पर लगाम लगाना जरूरी था। क्योंकि बीजेपी को असली डर क्षेत्रिय पार्टियों से अधिक कांग्रेस से लगता है क्योंकि कॉंग्रेस की जीत से बीजेपी के खिलाफ पूरे देश भर में मोमेंटम बन जाने की  संभावना बन जाती है। दूसरा आन्दोलनरत किसानों का दिल्ली में प्रवेश करने का खतरा था जिसे हरियाणा में उनकी सरकार ने रोड ब्लॉक कर रोक रखा है। ऐसे में यहां होने वाली हार से केन्द्र सरकार में नेतृत्व परिवर्तन तक की संभावना बन सकती थी।


हरियाणा के लेकर चुनाव परिणाम के पूर्व सभी पत्रकारों चाहे गोदी हों या पैदल सबकी यही खबर थी कि वहां की जनता में बीजेपी के खिलाफ जबरदस्त नाराजगी है। शहादत दे चुके किसान, मार खा चुकी महिला व पहलवान और देश में सर्वाधिक बेरोजगारी से त्रस्त नौजवान सब के सब बीजेपी सरकार को  सबक सिखाना चाहते थे। उनके नेताओं को सभा करने में दिक्कते हो रही हैं उनके प्रत्याशियों को गांव में घुसने नहीं दिया जा रहा है। यहां तक कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की सभाओं में दस हजार की भीड़ भी जुट नहीं पा रही थी  इसलिए उन्हें और सभा करने से कन्नी काटनी पड़ गई। जबकि विपक्ष के नेता श्री राहुल गांधी  की सभाओं और पदयात्रा में जनसैलाब उमड़ रहा था। यह कहा जाने लगा कि वहां बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस पार्टी नहीं बल्कि जनता चुनाव लड़ रही है और  बीजेपी के खिलाफ आंधी है। परन्तु परिणाम आने के बाद अब जनता की बजाय कांग्रेस के हार के कारण गिनाये जा रहे हैं। 

Congress's mistake? 

कहा जा रहा है कि कांग्रेस का चुनाव प्रबंधन ठीक नहीं था। गुटबाजी थी टिकट वितरण सही नहीं था। कोई श्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को दोषी ठहरा रहा है तो कोई कुमारी शैलजा को तो कोई इस हार को श्री वेणुगोपाल के मत्थे मढ़ रहा है। यह झूठा नैरिटिव गढ़ा जा रहा है कि बीजेपी ने बड़ी खूबसूरती से इस चुनाव को जाट बनाम गैर जाट बना दिया। जबकि वास्तविकता ये है कि जाट के कुल 25% वोटों में से 12.5% वोट ही कांग्रेस को मिले हैं और कांग्रेस को लगभग 40%  मिले कुल मतों में 28% गैर जाटों का ही है। इस तथ्य पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है जिस जेपीपी पार्टी को जनता ने बीजेपी के साथ सिर्फ गठबंधन करने की सजा शून्य सीट कर के दिया उस बीजेपी को पिछले चुनाव की तुलना में मतदान में 3% की वृद्धि का मजा कैसे दे दिया?


बीजेपी के कुल दस में से 9 मंत्री चुनाव हार गये और 8 अन्य सीटों पर जमानतें जब्त हे गई हों उसे शेष 72 सीटों में 48 सीटों पर जीत की स्ट्राइक रेट कैसे हासिल कर ली?  विरोधाभास नहीं लगता? यह भी कोई नहीं बतलाता कि बीजेपी दस जिलों के 44 में 36 सीटों पर जीत गई बाकि 12 जिलों के 46 सीटों में 34 सीटों पर हार क्यों हो गई? हरियाणा में ऐसा कोई डेमोग्राफी अंतर तो है नहीं? फिर भी ये तक कह दिया गया कि र्कांग्रेस पार्टी को चुनाव लड़ना नहीं आता! 140 वर्ष पुरानी पार्टी को चुनाव लड़ना नहीं आता? कमाल है! ये सब राजनैतिक दलीलें और कयासबाजियां हैं  जो हर चुनावी हार के बाद दी जाती हैं जो सही भी हो सकते हैं और गलत भी।

How did the miracle happen?

पर इस चमत्कारी हार के पीछे जो तथ्य आंकड़े के रूप में है वो तो गलत नहीं हो सकते! तथ्य ये है कि हरियाणा में मतदान के आंकड़ों में जबरदस्त हेराफेरी की गई है और इसका पता चुनाव आयोग द्वारा दिए गए आंकड़े से ही चल गया है । अमूमन मतदान के दिन समाप्ति के समय के आंकड़े और अंतिम आंकड़े में अधिक से अधिक 1% तक की वृद्धि को स्वभाविक माना जाता है। हरियाणा में यह वृद्धि लगभग 7% की गई है जो कि अस्वभाविक है। यह प्रधानमंत्री का प्रसिद्ध सवाल Extra 2ab कहां से आया की तरह  है। मतदान के दिन, 5 अक्टूबर को चुनाव आयोग ने बतलाया कि 7 बजे तक हरियाणा में 61.19% मतदान हुआ है फिर 12 बजे के अपडेट में कहा कि 11.45  बजे तक मतदान 65.65% हुआ।अर्थात 4.5% की वृद्धि और संख्या के हिसाब से देखें शाम 7 बजे की तुलना में 9 लाख 32 हजार वोट बढ़ गये अर्थात इतने लोग शाम 6 बजे से लाईन में खड़े रह गए थे क्या ऐसा भी हो सकता है ? 


फिर 7 अक्तूबर के मतगणना के महज लगभग 12 घंटे पहले शाम को एक नये अपडेट में चुनाव आयोग बतलाता है कि फाइनल मतदान 67.9% हुये हैं अर्थात लगभग 2.25% की एक और वृद्धि। शायद दुबारा यह वृद्धि लोकसभा में हुई , 400 पार मे हुई चूक से सबक लेकर की गई ताकि जीत में कोई कसर ना रहे। संख्या के हिसाब से देखें तो लगभग 3 लाख 12 हजार वोट और बढ़ गए। पर पोने बारह बजे रात के बाद मतदान कौन करता है भाई! यह है धांधली का गोल्ड स्टैण्डर्ड चमत्कार! यह वही दिन था जब हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने घोषणा की आप निश्चिंत रहिये सारी व्यवस्था हो गई है बीजेपी सरकार आ रही है। 


यहां उल्लेखनीय है कि हरियाणा में बीजेपी को कांग्रेस से मात्र 0.85 %  वोट अधिक मिले हैं पर सीटों में अंतर 30% यानि 11सीटें अधिक मिले हैं जो देश के सर्वाधिक विश्वसनीय सेफोलॉजिस्ट डा० प्रणव राय के अनुसार आश्चर्यजनक है। मतों की संख्या के हिसाब कांग्रेस और बीजेपी  में यह अंतर महज 1 लाख 18 हजार का है।इसलिये 3 लाख 12 हजार मतों की सिर्फ सवा दो प्रतिशत की इस वृद्धि ने बीजेपी को 23 हारी हुई सीटों पर जीत दिला दी ऐसा एक-एक सीटों के आंकड़े का विश्लेषण करने वाले डा० प्यारे लाल गर्ग ने बतलाया है। हो गया ना चमत्कार! विश्वास नहीं होता तो एक और कमाल देख लीजिये। चरखी दादरी और पंचकुला सीटों पर मतदान  के 5 अक्टूबर के 7 बजे और 11.45 में दिये गये आंकड़ों में कोई अंतर नहीं था मतलब वहां मतदान समाप्त हो चुके थे। पर 7 तारीख के दिये गये आंकड़ों में इन दोनों ही जिलों में भी अलग अलग 46 हजार वोट बढ़ गये। यह कैसी मशीन है जिसमें मतदान खत्म होने के बाद भी मतों की संख्या बढ़ती रहती है?


खरे सोने की एक और सच्चाई सामने आई है कि हरियाणा के कुल 90 सीटों में से सिर्फ 4 सीटों पर, 7 अक्टूबर को जो मतदान के अंतिम आंकड़े बताये गये थे उतने ही मत गिने गये बाकि 86 सीटों पर या तो मत घट गये या बढ़ गए। 500 से अधिक मत घटने की घटना 11 सीटों पर हुई हैं ं जबकि 500 से कम मत घटने की घटना कई सीटों पर हुई है। यह कैसे संभव है? मशीनों की गिनती में एक वोट की गड़बड़ी नही होनी चाहिये थी ऐसा दावा स्वयं  चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट तक में कर आया था। 


ऐसी ही गड़बड़ी शिकायत 2024 के लोकसभा चुनाव में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने की थी और चुनाव आयोग से इसका जवाब मांगा था। चुनाव आयोग ने कोई जवाब नहीं दिया। इसी तरह  Vote for Democracy नाम की संस्था ने 2024 लोकसभा चुनाव मतदान में अस्वाभाविक वृद्धि  Extra 2ab कर 79 सीटों पर बीजेपी को जीत सुनिश्चित करने पर नोटिस देकर चुनाव आयोग से जवाब मांगा था। चुनाव आयोग ने इन आरोंपों का कोई जवाब नहीं दिया बल्कि इसे बदनाम करने की साजिश बता दी।  हद है! मतदान में हुई गड़बड़ी का जवाब नहीं देंगे पर खुद को गोल्ड स्टैण्डर्ड बतलायेंगे? शायद चुनाव आयोग ने Nonbiological  का वो दिव्य प्रवचन सुना नहीं "हिप्पोक्रेसी की भी कोई सीमा होती है।"

 

यह भी सच्चाई है कि कांग्रेस पार्टी को लड़ना नहीं आता। यहां चुनाव की नहीं चुनाव आयोग से लड़ने की बात हो रही है। कांग्रेस पार्टी को इसका अनुभव नया ही है। वह अभी तक चुनाव आयोग की Extra 2ab  का तोड़ नहीं ढ़ूंढ पाई है। इसलिए उसे हर जगह मात खानी पड़ रही है। फिर चाहे वो गुजरात या राजस्थान या मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधान सभा के चुनाव हों या 2024 का लोकसभा चुनाव या फिर हरियाणा का इस चुनाव की बात हो। इस बार 20 सीटों पर 99% ईवीएम रिचार्ज की गड़बड़ियों सहित कई अन्य शिकायतें उसने उस चुनाव आयोग से की है जो सारी गड़बड़ियों का सूत्र धार है। भैंस के आगे बीन बजाने से कुछ नहीं होने वाला है वो पगुड़ाता ही रहेगा


क्योंकि  गड़बड़ी सिर्फ मशीन में नहीं पूरी मशीनरी में है। सुप्रीम कोर्ट से भी कुछ होने वाला नहीं है वहां एलोन मस्क से भी बड़े तकनीकी विशेषज्ञ बैठे हुए हैं जिन्होंने मशीन को पहले ही क्लीन चिट दे रखी है। जहां तक चुनाव आयोग की बात है तो भगवान् गणेश ही कृपा से उस पर भी उनका  पूरा विश्वास रहा है तभी तो उसकी हर झूठी बात उन्हें सही लगी है। लोकतंत्र खतरे में है इसकी सूचना 2017 प्रेस कॉन्फ्रेंस में देकर अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री कर ली गई है पर लोकतंत्र की सुरक्षा कौन करेगा वो जनता पर छोड़ दिया है?


जब लोकतंत्र बचाने का काम जनता ही को करनी है ऐसे में कांग्रेस सहित तमाम विपक्ष को जनता के पास ही जाना चाहिए और इस चुनावी घपलेबाजी के खिलाफ एक  अहिंसक जन आन्दोलन खडे करना की चाहिए। पर तंत्र ने  कांग्रेस सहित सम्पूर्ण विपक्ष को महाराष्ट्र और झारखंड की चुनाव तिथि की घोषणा कर द्विविधा में डाल दिया है कि वो इन चुनावों को देखे कि जनआंदोलन करे। वहीं जनता को गोदी मीडिया ने बहराइच दंगा और लॉरेंस बिश्नोई  जैसी गरमागरम असली और नकली खबरों में उलझा दिया है। ऐसे में यह आन्दोलन अभी तो नहीं होने वाला। 


पर यदि चुनावी तंत्र में घपले बाजी जारी रही और विपक्ष 240 पर सिमटी कमजोर पड़ी सत्ता को समय रहते अपदस्थ ना कर पाई तो आज ना कल यह आन्दोलन होना तय है। ऐसे में भगवान से यही खैर मनाइये इसका स्वरूप श्री लंका और बंगलादेश की तरह ना हो। जब तक ऐसा नहीं होता तब तक सिर्फ नाम के लोकतंत्र का ढ़ोल बजता रहेगा, राजनीतिक भजन कीर्तन होते रहेंगे और विपक्ष, तंत्र प्रदत्त सेलेक्टिव जीत को भगवान् का प्रसाद समझ कर ग्रहण करता और खुश रहेगा। मीडिया ने तो पिछले महीने तिरूपति के लडडू खूब बांटे ही थे। ऐसे में आपको भी क्या पड़ी है? लडडू खाइये और खुश रहिये! 

 



 



Parimal

Most non -offendable sarcastic human alive! Post Graduate in Political Science. Stay tuned for Unbiased Articles on Indian Politics.

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