खंडन - इस लेख में किये गए व्यंग्य, लेख की रोचकता बनाये रखने के लिये ही किया गया । यदि फिर भी किसी दिल को चोट पहुँचती है तो उसके लिये Indianspolitical.com खेद व्यक्त करता।
कुंभ स्नान की परम्परा अत्यंत प्राचीन काल से चली आ रही है। सामूहिक स्नान की अलौकिक अनुभूति का अहसास, पापों का नाश और पुण्य हासिल करने के विश्वास के साथ अनगिनत संख्या में लोग इसमें शामिल होते रहे हैं। पौराणिक साहित्य में तो इसका जिक्र तो है ही वहीं आधुनिक इतिहास में सम्राट हर्षवर्धन के समय ( 606- 647 AD) चीनी यात्री ह्वेनसांग की यात्रा वृतांत में इस सनातनी स्नान का उल्लेख है। इसी परम्परा में 2025 प्रयागराज में पवित्र कुंभ स्नान चल रहा है।
Political Dimensions
पर यह कुंभ थोड़ा अलग है क्योंकि इसके सनातनी स्वरूप में राजनीति भी शामिल हो गई है। इसे पार्टी विशेष की हिन्दुत्व विचारधारा और नेताओं का महिमा मंडन का माध्यम बनाने की कोशिश की गई है। इस तरह कुंभ के अखाड़ों में एक प्रबल अखाड़े के रूप में हिन्दुत्व नामक नया राजनीति अखाड़ा भी शामिल हो गया ।
फलतः इस कुंभ को भूतों ना भविष्यति के तौर पर प्रचारित किया गया। उल्लेखनीय है कुम्भ मूलतः दो ही प्रकार के होते हैं 12 वर्षों में लगने वाला कुम्भ दूसरा 6 वर्षों में होने वाला अर्ध कुम्भ। । 2001 में श्री राजनाथ सिंह की बीजेपी सरकार समय लगने वाले प्रयागराज (इलाहाबाद) कुम्भ को भी महाकुम्भ कहा गया था।अब श्री योगी नाथ के समय वाले कुम्भ को भी महाकुम्भ कहा जा रहा है। दोनो ं में 144 वर्षों का अन्तर भी नहीं है पर उसे भी 144 वर्षों वाला कुम्भ कहा गया था। है ना कमाल?
कुंभ नहाने से पाप धुलने की मान्यता तो पुरानी थी ना जाने से पाप भी लग सकता है ऐसी धारणा बना लोगों में श्रध्दाजनित उन्माद पैदा किया गया। अभी नहीं तो कभी नहीं! मत चुको चौहान! जो इस स्नान से चुका वो तो समझो गया?
Managing Unprecedented Crowds
7 हजार करोड़ रूपये से अधिक बजटीय आयोजन में सौ करोड़ लोगों की जबरदस्त व्यवस्था के दावे और इसे लेकर गोदी मीडिया में 144 वर्षीय* वाले प्रोपेगेंडा और कुंभ चलो के नारे और बाबा ठगेश्वर द्वारा यहां ना आने वाले को देशद्रोही बतलाने की फटकार ने ऐसा समा बांधा कि लोगों में यहां आने की होड़ मच गई। छोटे शहर और प्रशासन की क्षमता से अधिक लोगों का सैलाब कुंभ नहाने चल पड़ा।
धर्म कर्म में आस्था रखने वाले श्रध्दालुओं के साथ इसमें ऐसे लोग भी जुड़ गये जिन्होंने इसे एडवेंचर टूरिज्म के रूप में लिया। देखते ही देखते आस्था का यह महापर्व फेसबुक और इंस्टाग्राम पर स्टेटस सिंबल का प्रतीक बन गया। जिसे देखो वह यहां डूबकी लगाने चल पड़ा।
VIP Participation and Stampeds Tragedy
लगातार आने वाले वीआईपी की आवभगत में समर्पित तंत्र करोड़ों की भीड़ संभाल ना सका। फलतः मौनी अमावस्या के दिन भगदड मची और श्रध्दालु रौंदे गये न जाने कितनों की जान चली गई। ऐसा लगता है कि बुलडोजर बाबा के राज में बुलडोज होने की घटना जरूरी समझी गई ? मौत के आंकड़े बताने के बजाय छिपाने की खबरें चलने लगी। कोरोना के समय से ही इस कार्य में महारथ हासिल कर ली गई है।हालात ये हो गई कुंभ में आने का आह्वान करने वाले , ना आने का पैगाम देने लगे।
प्रशासन का दंभ घुटने पर आ गया तो लोगों को भी आस्था के महापर्व में घुटने भर पानी में ही डूबकियां लगाने को मजबूर होना पड़ा। पुलिस कमिश्नर ने कहा एक चूक भारी पड़ गई पर कौन सी चूक वो नहीं बतलाया। कदाचित लाखों का इंतजाम कर करोड़ों को बुलाना ही वो भारी चूक थी । घर में नहीं थे दाने अम्मा चली भुनाने।
महाभारत कालीन अग्निकुण्ड से जन्मे धृष्टद्युम्न की तरह योगीराज के इस कुंभ में दीर्घावधि महाजाम से Road Arrest की नई संकल्पना को जन्म दिया। श्रध्दालुओं की रेलों में ठूंसकारी सफर के बाद 10 से 20 किलोमीटर तक की कष्टप्रद पैदल यात्रा ने श्री राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के महात्म्य को समझा दिया । वहीं भोजन, पानी और शौचालय की तलाश करते श्रध्दालुओं में मोक्ष मिले या ना मिले नरक क्या हो सकता है इसकी समझदारी विकसित कर दी ।
कुंभ में डुबकी लगाने वालों का रिकॉर्ड बनाने की प्रबल उत्कंठा में सरकार का प्रशासनिक तंत्र खुद बदइंतजामी के महासागर में डूबकी लगाने लगा। इस कुव्यवस्था को संभालने कथित हिन्दुत्व से सर्वाधिक पीड़ित लोगों को सामने आना पड़ा। मस्जिदों, इमामबाड़े और मदरसों के दरवाजे कुंभ के श्रध्दालओं के लिये खुल गए हैं। वहां भोजन पानी के अलावा राम नाम के नारे और हनुमान चालीसा का जाप करने की भी सुविधा मिली।
Unprecedent Comedy
प्रयागराज के इस कुंभ में दर्दनाक हादसे और बदइंतज़ामी के बीच मनोरंजक दृश्य भी देखने को मिले। 240 वोल्ट ( ऐसा वोल्ट राजनीति में होता है) के झटके से अवतार से आदमी में परिवर्तित व्यक्ति ने दिखाया डूबकी में सिर डुबाना जरूरी नहीं होता सिर्फ नाक को पानी में छू देना ही पर्याप्त होता है। दुनिया ने यह भी देखा किसी भलेमानुष पर बाथरूम में रेनकोट पहन कर नहाने का तंज कसने वाला खुद गंगा में रेनकोट पहन कर कैसे नहाता है? अरे भाई! 56 ईंच की छाती का राज खुल जाने का डर किसी को भी हो सकता है। बात करते हैं।
कमाल तो ये है कि बदइंतजामी का रिकॉर्ड कायम करने वाले इस कथित 144 वर्षीय रूप में प्रचारित कुम्भ में लोगों का आने का सिलसिला निरन्तर जारी है। इनकी श्रध्दा और विश्वास वंदनीय हैं क्योंकि इन श्रध्दालुओं के भरोसे ही अलौकिक कुंभ की महान परम्परा जीवित है।
पर योगी राज वाला यह कुंभ सिर्फ श्रध्दा नहीं जान जोखिम में डालने की हिम्मत (कुछ लोग इसे मूर्खता भी समझते हैं) की अपेक्षा भी रखता है। ऐसे में बधाई के वे भी पात्र है जिनकी सक्रियता फेसबुक, इंस्टाग्राम, वाट्सएप और सोशल मीडिया पर रहती है। प्रयागराज कुंभ में स्नान कर जंग जीत लेने का उनका ये अहसास निश्चित रूप से उनके पराक्रम में वृद्धि करेगा और रील बनाने के नये अवसर प्रदान करेगा।
पैसे कूट लेने की आकांक्षा में भीड़ जुटाने में सफल पर व्यवस्था में असफलता के झंडे डालने वाली सरकार को भी दुखी होने की जरूरत नहीं उनका कल्याण गंगा माई नहीं तो चुनाव आयोग भाई तो करते ही रहेंगे। रह गये वे लोग जो इस कुंभ में नहीं गये हैं। वे ना तो अभागे है ंऔर ना ही कुव्यवस्था के डर से भागे हैं बल्कि कदाचित वे इस सत्य से वाकिफ हैं "मन चंगा तो कठौती में गंगा।"
* 2001और 2013के प्रयागराज ( तत्कालीन इलाहाबाद) के कुंभ को भी 144 वर्षों वाला ग्रहों एक विशेष स्थिति में होने वाला महाकुम्भ बतलाया गया था।भीड़ का रिकॉर्ड बनाने और मेले से कमाई करने के लिये 144 साल वाली खबर चलाई गई। 12*12 का फार्मूला सही है तो सम्राट हर्षवर्धन के समय के 12 वां कुम्भ और उसके बाद आने वाला हर कुम्भ किसी ना किसी कुम्भ के 144 के बाद आता है। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वारनन्द ने इसे गलत बतलाया है। सीधी बात गणेशजी को दूध पिलाने वालों ने हिन्दुओं को 144 वाले झूठ की भंग पिलाकर मूर्ख बनाया है।
Sach kaha apane kumbh jane wale bahut se andhbhakton ki mansikta badal gai yogi or modi ko randawa tak kah diya hehehe
जवाब देंहटाएंSahi aanklan, kumbh me nahana is saal aisa trending ho gya ki is chakkar me sabhi chal pare bina kuchh soche samjhe ...sab socha samjha plan tha extra income ka jo prasahasan k liye bhai par gya...
जवाब देंहटाएंवाह वाह! बहुत खूब! प्रयागराज कुंभ 25 का सटीक और बेवाक आंकलन । हम तो बस श्रद्धालुओं की आस्था और उनकी सुरक्षा चाहते हैं।
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